टुकड़ों-टुकड़ों से बन गया $1000000000 का मार्केट! प्रॉपर्टी में निवेश करने का यह आसान तरीका, हर साल आ रही तेजी

Fractional Real Estate: एक साथ बड़ी प्रॉपर्टी न खरीद पाने वालों के लिए फ्रैक्शनल रियल एस्टेट अच्छा विकल्प बन रहा है। यह कारोबार तेजी से बढ़ रहा है और एक अरब डॉलर से ज्यादा का हो गया है।

Fractional Real Estate
रियल एस्टेट में निवेश के टिप्स (फोटो- नवभारतटाइम्स.कॉम)
नई दिल्ली: भारत में रियल एस्टेट का बाजार बदल रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के आने से प्रॉपर्टी के छोटे-छोटे हिस्से खरीदने का चलन बढ़ रहा है। इसे फ्रैक्शनल ओनरशिप (Fractional ownership) कहते हैं। फ्रैक्शनल ओनरशिप का मतलब है कि आप किसी प्रॉपर्टी का एक छोटा सा हिस्सा खरीदते हैं। यह उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके पास ज्यादा पैसे नहीं हैं, लेकिन वे रियल एस्टेट में निवेश करना चाहते हैं। यह तरीका आसान है और इससे अच्छी कमाई भी हो रही है। इसलिए, यह तरीका लोगों को पसंद आ रहा है। इस सेक्टर को फ्रैक्शनल रियल एस्टेट कहा जाता है।

Alt DRX के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर मनीशील गौतम का कहना है कि भारत में फ्रैक्शनल रियल एस्टेट का बाजार करीब 1 अरब डॉलर (करीब 86.50 अरब रुपये) का है। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल लगभग 100 अरब डॉलर रियल एस्टेट में लगाए जाते हैं। लेकिन, डिजिटल रियल एस्टेट अभी शुरुआती दौर में है। रिटेल निवेशकों के लिए यह आसान हो रहा है। इसलिए इसमें हर साल 30-40% की बढ़ोतरी हो रही 

अमेरिका में बूम

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार अमेरिका में यह तरीका बहुत आगे बढ़ चुका है। गौतम ने बताया कि अमेरिका में टॉप कंपनियों ने टोकन और फ्रैक्शनल रियल एस्टेट में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। इससे पता चलता है कि यह मॉडल कितना आगे जा सकता है।

भारत में क्या स्थिति?

ANAROCK ग्रुप की प्रेसिडेंट अदिति वातवे का अनुमान है कि भारत में फ्रैक्शनल रियल एस्टेट का बाजार दो साल पहले 4,000 करोड़ रुपये का था।

उनका मानना है कि यह हर साल 25-30% की दर से बढ़ रहा है। अगर सरकार के नियम इसे सपोर्ट करें तो यह अगले पांच सालों में 41,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकता है। पूरी दुनिया में यह सेक्टर इस साल 4.8 लाख करोड़ डॉलर का हो जाएगा। इसमें हर साल 26% की बढ़ोतरी हो रही है।

कौन कर रहा डिमांड?

वातवे ने बताया कि इसकी डिमांड रिटेल निवेशक, HNI (High Net Worth Individuals), टेक-सेवी मिलेनियल्स और एनआरआई कर रहे हैं। इनमें युवाओं की संख्या भी काफी है। निवेशक मुंबई, बेंगलुरु, दिल्ली-NCR, हैदराबाद और पुणे जैसे शहरों में प्रीमियम कमर्शियल प्रॉपर्टी में निवेश करना चाहते हैं। फ्रैक्शनल ओनरशिप से वे ज्यादा पैसे लगाए बिना भी महंगी प्रॉपर्टी में निवेश कर सकते हैं।

एनआरआई को यह मॉडल इसलिए पसंद आ रहा है क्योंकि भारत में किराए से अच्छी कमाई होती है और प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ने की संभावना भी होती है। वातवे ने कहा कि वे डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे निवेश करना आसान हो गया है। ये प्लेटफॉर्म प्रॉपर्टी चुनने, जांच करने और उसका मैनेजमेंट करने में भी मदद करते हैं।
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