Budget 2025: 90% से ज्यादा टैक्सपेयर्स चुन सकते हैं नई टैक्स रिजीम, CBDT के चेयरमैन ने किया दावा

फाइनेंशियल ईयर 2025-26 से 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को टैक्स कर दिया गया है। हाल में पेश बजट में इसका प्रस्ताव किया गया है। सीबीडीटी के चेयरमैन का कहना है कि बजट घोषणा के बाद 90 प्रतिशत से अधिक टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम को अपना सकते 

Income Tax Slabs
नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने रविवार को कहा कि 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगाने और सभी स्लैब में बदलाव की बजट घोषणा के बाद 90 प्रतिशत से अधिक टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम को अपना सकते हैं। फिलहाल यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि सरकार और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की सोच और काम करने का तरीका देश में बिना दखल वाला टैक्स प्रशासन सुनिश्चित करना है। CBDT के प्रमुख ने कहा कि एक आम टैक्सपेयर्स के लिए अपनी इनकम बताने की उपलब्ध प्रक्रियाएं बहुत जटिल नहीं हैं।उन्होंने इसके लिए आसान बनाए गए ITR-1, पहले से भरे इनकम टैक्स रिटर्न, TDS का ऑटोमेटिक कम्प्यूटेशन का उदाहरण दिया। उन्होंने नई टैक्स रिजीम का भी हवाला दिया, जिसमें टैक्सपेयर्स के लिए कम्प्यूटेशन को आसान बनाया गया है। ऐसे में वह किसी प्रोफेशनल की मदद के बिना अपना ITR खुद दाखिल कर सकते हैं। इसमें पुरानी रिजीम की तरह किसी डिडक्शन या छूट नहीं है। CBDT केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत इनकम टैक्स विभाग के अंदर काम करता है।

25 लाख इनकम वाले की कितनी बचत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट भाषण में मिडल क्लास के लिए अहम घोषणा करते हुए कहा कि नई टैक्स रिजीम के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई टैक्स नहीं देना होगा। छूट की यह सीमा फिलहाल सात लाख रुपये है। सैलरीड क्लास के लिए 75,000 रुपये की अतिरिक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन भी है। सरकार ने इस सीमा से अधिक आय वाले लोगों के लिए टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया। इससे सालाना 25 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों को हर साल 1.1 लाख रुपये तक टैक्स बचाने में मदद मिलेगी।

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अग्रवाल ने माना कि आगे बढ़ने के लिए हमेशा सुधार की गुंजाइश बनी रहती है। उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि आम टैक्सपेयर्स के लिए चीजों को काफी हद तक सरल बनाया गया है।' उन्होंने कहा, 'बजट में घोषणाओं के साथ आने वाले वक्त में ज्यादा से ज्यादा टैक्सपेयर्स नई टैक्स रिजीम का विकल्प चुनने के लिए आगे आएंगे। अगर 100 प्रतिशत टैक्सपेयर्स नहीं, तो अगले साल से हमें 90 प्रतिशत या शायद उससे भी अधिक के आंकड़े देखने को मिलेंगे।'

'बचत-निवेश के बारे में लोगों को तय करना है'

बजट में मध्यम वर्ग को टैक्स के मोर्चे पर बड़ी राहत के बीच आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के सचिव अजय सेठ ने रविवार को कहा कि लोगों को कहां बचत करनी है, किस क्षेत्र में निवेश करना है, हम उसे टैक्सेशन नीति से प्रभावित नहीं कर सकते। इस बारे में लोगों को ही फैसला करना है। उन्होंने कहा, ‘सरकार का प्रयास है कि टैक्स की दरें कम हों और लोगों को रिटर्न भरने में आसानी हो। उसके बाद वे निर्णय करें कि उन्हें क्या करना है।’
(एजेंसी से इनपुट के साथ)
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